Atal Bihari Vajpayee Poems: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) न सिर्फ प्रखर राजनेता और ओजस्‍वी वक्‍ता थे बल्‍कि कलम के जादूगर भी थे. उन्‍होंने एक से बढ़कर एक कई कविताएं लिखीं. भारत रत्‍न अटल बिहारी वाजपेयी इन कविताओं का इस्‍तेमाल अपने भाषणों में भी खूब करते थे. जनता ने जितना प्‍यार और सम्‍मान उन्‍हें बतौर पीएम और नेता के रूप में दिया उतना ही सम्‍मान उनकी कविताओं को भी मिला. उनकी कविताएं महज चंद पंक्तियां नहीं बल्‍कि जीवन का नजरिया हैं, समाज के ताने-बाने के साथ आगे चलने की प्रेरणा हैं और घोर निराशा में भी आशा की किरणें भरने वाली हैं.

Atal Bihari Vajpayee Poems

Atal Bihari Vajpayee, in addition to being a prominent political figure in India, was also known for his literary prowess. He was a distinguished poet, and his poems reflected his deep thoughts, love for the nation, and philosophical insights. Here are a few poems written by Atal Bihari Vajpayee:

आओ फिर से दिया जलाएं:

आओ फिर से दिया जलाएं
भ्रष्टाचार में आग लगाएं
आओ मिलकर महंगाई को मिटाएं
यह अंधेरा दुखद है, बातें कुछ यहाँ सुनाएं
यह नया साल आपको मुबारक हो
हम सभी को इसपर गर्व हो
क्योंकि आप सभी के साथ हैं

हम भी देखेंगे:

लहराएंगे, लड़ाएंगे
हम भी देखेंगे, हम भी देखेंगे
जब जागेंगे, हम सभी देखेंगे

यहां पर जानिए अटल बिहारी वाजपेयी की ऐसी ही मशहूर  कविताएं: 

Atal Bihari Vajpayee birthday

25 December 1924, Poet and politician Atal Bihari Vajpayee led India’s premiership three times: first, for a brief 13-day tenure in 1996; second, for a 13-month stint from 1998 to 1999; and third, for a complete term from 1999 to 2004. Vajpayee was a prominent leader in the BJP and one of its co-founders.

1. उजियारे में, अंधकार में,

कल कहार में, बीच धार में,
घोर घृणा में, पूत प्यार में,
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,
जीवन के शत-शत आकर्षक,
अरमानों को ढलना होगा.
कदम मिलाकर चलना होगा.

सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ,
प्रगति चिरंतन कैसा इति अब,
सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,
असफल, सफल समान मनोरथ,
सब कुछ देकर कुछ न मांगते,
पावस बनकर ढलना होगा.
कदम मिलाकर चलना होगा.

कुछ कांटों से सज्जित जीवन,
प्रखर प्यार से वंचित यौवन,
नीरवता से मुखरित मधुबन,
परहित अर्पित अपना तन-मन,
जीवन को शत-शत आहुति में,
जलना होगा, गलना होगा.
क़दम मिलाकर चलना होगा.

2. Atal Bihari Vajpayee poems

दीपक बुझा रहा हूँ:

दीपक बुझा रहा हूँ, दिल यह कह रहा है
दीपक बुझा रहा हूँ, दिल यह कह रहा है
दिल यह कह रहा है, कि रातें यहीं ठहर जाएँगी
रातें यहीं ठहर जाएँगी
दीपक बुझा रहा हूँ, दिल यह कह रहा है

3. atal bihari vajpayee poems

खून क्यों सफेद हो गया?

भेद में अभेद खो गया. बंट गये शहीद, गीत कट गए,
कलेजे में कटार दड़ गई. दूध में दरार पड़ गई.

खेतों में बारूदी गंध, टूट गये नानक के छंद
सतलुज सहम उठी, व्यथित सी बितस्ता है.
वसंत से बहार झड़ गई दूध में दरार पड़ गई.

अपनी ही छाया से बैर, गले लगने लगे हैं ग़ैर,
ख़ुदकुशी का रास्ता, तुम्हें वतन का वास्ता.
बात बनाएं, बिगड़ गई. दूध में दरार पड़ गई.

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4. atal bihari vajpayee poems

क्षमा करो बापू! तुम हमको,
बचन भंग के हम अपराधी,
राजघाट को किया अपावन,
मंज़िल भूले, यात्रा आधी।जयप्रकाश जी! रखो भरोसा,
टूटे सपनों को जोड़ेंगे।
चिताभस्म की चिंगारी से,
अन्धकार के गढ़ तोड़ेंगे।

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Atal Bihari Vajpayee Poems In Hindi

5. atal bihari vajpayee poems

कौरव कौन कौन पांडव, टेढ़ा सवाल है|
दोनों ओर शकुनि का फैला कूटजाल है|
धर्मराज ने छोड़ी नहीं जुए की लत है|
हर पंचायत में पांचाली अपमानित है|
बिना कृष्ण के आज महाभारत होना है,
कोई राजा बने, रंक को तो रोना है|

कौआ कौआ चला हंस के बोल:

कौआ कौआ चला हंस के बोल
हंस के बोल, बोल बोल
तूने क्या सीखा हंस के बोल
हंस के बोल, बोल बोल

6. हौसला बना रहे

कुछ राहों में रुकावटें हैं, यही मंजिलें हैं,
हौसला बना रहे, मंजिलें मुश्किलें तो नहीं।
कुछ संघर्ष की राहें हैं, यही तो मुश्किलें हैं,
हौसला बना रहे, मुश्किलें मंजिलें तो नहीं।

7. हम फिर मिलेंगे:

दो दिल मिल रहे हैं, पर मिलेंगे नहीं हम
दो दिल मिल रहे हैं, पर मिलेंगे नहीं हम
अपना इतिहास है, इसे मिटाएंगे नहीं हम
हम फिर मिलेंगे, हम फिर मिलेंगे

atal bihari vajpayee punyatithi

Atal Bihari Vajpayee’s death anniversary, also known as Punyatithi in Hindi, is observed on August 16th. On this day, people pay tribute to the former Prime Minister of India, remembering his contributions to the nation, both as a statesman and a poet.

8. काग़ज़ पे रात लिख रहा हूँ:

काग़ज़ पे रात लिख रहा हूँ, ज़िंदगी तेरे नाम कर रहा हूँ
राज बदलेगा, सुकून मिलेगा, ये सपना दिखा रहा हूँ।

9. बुलंदी पे भरोसा रख:

बुलंदी पे भरोसा रख, ताक़त में आसानी है,
हार मत मान, कहीं भी बैठ, खाक में असमानी है।

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