14 सितंबर 2025 का पंचांग: जितिया व्रत, कालाष्टमी, शुभ मुहूर्त और राहु काल की पूरी जानकारी

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क्या आप 14 सितंबर 2025 को अपने दिन की शुरुआत शुभ मुहूर्त और पंचांग के अनुसार करना चाहते हैं? आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang) आपके लिए हिंदू कैलेंडर के आधार पर महत्वपूर्ण जानकारी लेकर आया है, जिसमें जितिया व्रत, कालाष्टमी, शुभ मुहूर्त, राहु काल, और अन्य ज्योतिषीय विवरण शामिल हैं। यह लेख SEO-अनुकूलित है, जो Google पर रैंक करने और अधिक क्लिक्स प्राप्त करने के लिए तैयार किया गया है। आइए जानते हैं 14 सितंबर 2025 का विस्तृत पंचांग!

पंचांग क्या है?

पंचांग हिंदू ज्योतिष का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो तिथि, नक्षत्र, योग, करण, और वार जैसे पांच अंगों पर आधारित होता है। यह शुभ कार्यों, जैसे विवाह, गृह प्रवेश, और पूजा के लिए सही समय निर्धारित करने में मदद करता है। 14 सितंबर 2025 के पंचांग में जितिया व्रत और कालाष्टमी का विशेष महत्व है।


तिथि और वार

  • तिथि: अष्टमी (कृष्ण पक्ष) सुबह 03:06 AM तक, उसके बाद नवमी।
  • वार: रविवार
  • पक्ष: कृष्ण पक्ष
  • मास: आश्विन (अमांत)

सूर्योदय और सूर्यास्त

  • सूर्योदय: सुबह 06:06 AM
  • सूर्यास्त: शाम 06:26 PM

चंद्रोदय और चंद्रास्त

  • चंद्रोदय: शाम 07:40 PM
  • चंद्रास्त: अगले दिन सुबह 08:34 AM

नक्षत्र, योग, और करण

  • नक्षत्र: रोहिणी (सुबह 08:39 AM तक), उसके बाद मृगशिरा।
  • योग: वज्र (सुबह 07:35 AM तक), उसके बाद सिद्धि योग।
  • करण: बालव (शाम 04:03 PM तक), उसके बाद तैतिल।

जितिया व्रत: महत्व और पूजा विधि

जितिया व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। यह व्रत संतान की रक्षा, दीर्घायु, और कल्याण के लिए रखा जाता है। भगवान विष्णु और माता जगदंबा की पूजा से विशेष फल प्राप्त होता है।

पूजा विधि

  1. प्रातः स्नान: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा स्थल: भगवान विष्णु और माता जगदंबा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  3. व्रत संकल्प: जितिया व्रत का संकल्प लें और संतान कल्याण की प्रार्थना करें।
  4. पूजा सामग्री: दीप, धूप, फूल, तुलसी पत्र, और प्रसाद चढ़ाएं।
  5. मंत्र जाप: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
  6. कथा: जितिया व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
  7. दान: जरूरतमंदों को अन्न और वस्त्र दान करें।

व्रत के नियम

  • व्रत के दिन निर्जला या फलाहार रखें।
  • सात्विक भोजन करें और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
  • संध्या समय पारण करें।

कालाष्टमी: महत्व और पूजा

कालाष्टमी आश्विन कृष्ण अष्टमी को भगवान भैरव की पूजा का दिन है। यह व्रत भय, रोग, और विपत्तियों से मुक्ति के लिए रखा जाता है।

पूजा विधि

  1. स्नान और शुद्धि: सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. पूजा स्थल: भगवान भैरव की मूर्ति स्थापित करें।
  3. सामग्री: सरसों का तेल, काला कपड़ा, और उड़द की दाल चढ़ाएं।
  4. मंत्र: “ॐ भैरवाय नमः” का जाप करें।
  5. कथा: कालाष्टमी कथा सुनें।
  6. आरती: भगवान भैरव की आरती उतारें।

शुभ मुहूर्त: कार्य शुरू करने का सही समय

14 सितंबर 2025 को विभिन्न कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:

  • अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:48 AM से 12:37 PM।
  • विवाह मुहूर्त: उपलब्ध नहीं (पितृपक्ष में विवाह शुभ नहीं)।
  • गृह प्रवेश: सुबह 06:21 AM से 08:37 AM।
  • वाहन खरीदारी: सुबह 08:41 AM से 10:57 AM।
  • नामकरण/मुंडन: दोपहर 12:00 PM से 02:00 PM।

नोट: शुभ मुहूर्त में कार्य शुरू करने से पहले अपने ज्योतिषी से सलाह लें।


राहु काल: अशुभ समय से बचें

राहु काल वह समय होता है जब कोई भी शुभ कार्य शुरू नहीं करना चाहिए। 14 सितंबर 2025 का राहु काल:

  • समय: दोपहर 04:55 PM से 06:27 PM।
  • सुझाव: इस दौरान यात्रा, नए कार्य, या महत्वपूर्ण निर्णय लेने से बचें।

अन्य अशुभ काल:

  • यमगंड: दोपहर 12:16 PM से 01:49 PM।
  • गुलिक काल: दोपहर 03:22 PM से 04:55 PM।

अन्य ज्योतिषीय जानकारी

  • चंद्र राशि: वृषभ (रात्रि 08:03 PM तक, उसके बाद मिथुन)।
  • सूर्य राशि: कन्या।
  • विशेष: जितिया व्रत और कालाष्टमी के कारण संतान कल्याण और भैरव भक्ति का विशेष लाभ। पितृपक्ष श्राद्ध भी आज है।

14 सितंबर 2025 को क्या करें और क्या न करें?

क्या करें?

  • जितिया व्रत रखें और भगवान विष्णु की पूजा करें।
  • कालाष्टमी पर भगवान भैरव को तेल चढ़ाएं।
  • शुभ मुहूर्त में महत्वपूर्ण कार्य शुरू करें।
  • दान-पुण्य और परिवार के साथ समय बिताएं।

क्या न करें?

  • राहु काल में कोई शुभ कार्य शुरू न करें।
  • तामसिक भोजन और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
  • बिना ज्योतिषीय सलाह के बड़े निर्णय लेने से बचें।

निष्कर्ष

14 सितंबर 2025 का पंचांग आपके दिन को शुभ और सफल बनाने में मदद करेगा। जितिया व्रत और कालाष्टमी का व्रत और शुभ मुहूर्त का पालन करके आप संतान कल्याण और आध्यात्मिक शांति प्राप्त कर सकते हैं। इस दिन को और खास बनाने के लिए भगवान विष्णु और भैरव की भक्ति में लीन हों और अपने कार्यों को शुभ मुहूर्त में शुरू करें।

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